वैसे हिन्दू धर्म की बात करें तो अपने आप मे एक बहुत बड़ा धर्म है। भारत मे हिन्दू धर्म को मानने वालों की संख्या सबसे अधिक है। चलिए आज हम आपको हिन्दू धर्म के ग्रंथों/पुराणों में लिखी हुई कुछ बातों का जिक्र करते हैं। उन्ही में से एक माता सीता के द्वारा दिए गए श्राप का है। माता सीता ने इन चारों को हमेशा के लिए श्रापित किया और उनके श्राप से आज ये चारों भुगत रहे हैं।
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जब भगवान श्री राम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए वन में गए थे ।तब अपने बेटे श्री राम के वियोग में उनके पिता दशरथ की मृत्यु हो गई । भगवान राम के अयोध्या में अनुपस्थति होने पर भरत और शत्रुघ्न ने अपने पिता दशरथ का दाह संस्कार किया। पिता की मृत्यु के इस खबर से राम और लक्ष्मण सभी को गहरी ठेस पहुंची। चूंकि वे 14 वर्ष का वनवास पूरा अभी नहीं हुआ था। इसलिए उन्होंने जंगल में ही एक नदी के किनारे अपने पिता का पिंडदान करने का निश्चय किया। नदी के किनारे माता सीता को ठहरने के लिए कहकर दोनों भाई आवश्यक सामग्री लेने के लिए जंगल की ओर निकल गए।
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काफी समय गुजरने के बाद जब दोनों भाई आवश्यक सामग्री लेकर नहीं आयें तो माता सीता को चिंता सताने लगी की पिंडदान का समय निकला जा रहा है। अचानक से सीताजी ने वहां पर राजा दशरथ की छवि को देखा। उस छवि में से माँ ने सुना कि पिंड दान का समय निकला जा रहा है। अंतः समय के महत्व को समझते हुए माता सीता ने अपने पिता समान ससुर दशरथ का पूरी विधि विधान का पालन कर पिंडदान उसी समय राम और लक्ष्मण की उपस्थिति के बिना किया।
जब श्री राम जी और लक्ष्मण जी वहां पर वापस आए तो माता ने वह सारी बात बता दी। लेकिन भगवान श्री राम को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ, तो माता ने कहा कि मैंने उपस्थित गाय ,कौवा ,फल्गु नदी और पंडित को साक्षी मानकर ही पिंडदान किया है। साक्षी के तौर पर इन चारों से सच्चाई का पता लगा सकते हैं। भगवान श्री राम ने इस बात की पुष्टि करने के लिए जब चारों से पूछा तो इन चारों भगवान श्री राम के क्रोध को देखते हुए झूठ बोल दिया कि ऐसा कुछ हुआ नहीं हुआ। अंत में वहाँ उपस्थि वट के वृक्ष ने माता का साथ दिया। इनकी झूठी बातों को सुनकर माता सीता अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्हें झूठ बोलने की सजा के तौर पर उन चारों को आजीवन श्रापित कर दिया। माता सीता के द्वारा दिया गया श्राप इस प्रकार है:
पंडित समाज-
माता सीता ने पंडित को श्राप दिया की पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता हमेशा बनी रहेगी।
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कौआ समुदाय-
माता सीता ने सभी कौवे समुदाय को श्रापित किया की उसे अकेल खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और वे आकस्मिक मौत मरेंगे।
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गाय समुदाय-
गाय को श्रापित किया सभी जानवरों में पवित्र और हर घर में पूजा होने के बाद भी हमेशा लोगों का जूठन ही खाना पड़ेगा।
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फल्गु नदी-
माता सीता ने फल्गु नदी को श्राप दिया की पानी गिरने के बाद भी नदी हमेशा ऊपर से सुखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव कभी नहीं होगा।
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आज के समय में इन चारों पर माता सीता का श्राप देखा जा सकता है। आज सारी श्राप सच होते हुए प्रतीत होता है।
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