Header Ads

हरियाली तीज 2025: व्रत, विधि, शुभ मुहूर्त और नारी शक्ति का सांस्कृतिक उत्सव

🌿 हरियाली तीज 2025: सौंदर्य, आस्था और संकल्प का पावन पर्व


हरियाली तीज 2025 का सांस्कृतिक थंबनेल: पारंपरिक परिधान में सजी भारतीय महिला झूले पर, हरे-भरे वातावरण में नारी शक्ति, व्रत विधि और शुभ मुहूर्त का उत्सव दर्शाता हुआ। Hariyali Teej 2025 thumbnail: Indian woman in traditional attire swinging amidst lush greenery, symbolizing feminine strength, rituals, and auspicious celebration.

हरियाली तीज
, जिसे श्रावण तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष 27 जुलाई 2025, रविवार के दिन मनाई जाएगी। यह त्यौहार महिलाओं के जीवन में आस्था, प्रेम और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। शिव और पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाने वाला यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के साथ व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

यह पर्व न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि प्राकृतिक हरियाली के संरक्षण और सौंदर्य के प्रति सम्मान का भी संदेश देता है, जो प्रत्येक वर्ष सावन मास की हरियाली में जीवन को नई ऊर्जा से भर देता है।



🕉️ हरियाली तीज 2025 की पूजा और व्रत के लिए शुभ समय इस प्रकार है:

हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष, यह तिथि 26 अगस्त, मंगलवार को पड़ रही  है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की तृतीया तिथि 25 अगस्त की दोपहर लगभग 12:34 बजे शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि यानी सूर्योदय के अनुसार इस व्रत को 26 अगस्त को ही रखा जाएगा।


हरतालिका तीज का यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए पति की लंबी आयु और वैवाहिक खुशहाली की कामना से रखा जाता है वहीं, अविवाहित कन्याएं इस व्रत को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति के साथ पूजा की जाती है और व्रत निर्जला रखा जाता है।

इस साल के शुभ मुहूर्त के अनुसार, पूजा-आरंभ सुबह 5:56 बजे से होगा और समाप्ति सुबह 8:31 बजे तक रहेगा। साथ ही पूरे दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पूजा और व्रत की महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं।

इस प्रकार 26 अगस्त 2025 का दिन हरतालिका तीज के पावन व्रत के लिए अत्यंत शुभ रहेगा।


📿 पूजा विधि (Puja Vidhi)

हरियाली तीज के पावन अवसर पर पूजा की विधि कुछ इस प्रकार है:

¦ दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध जल से स्नान करके करें। शरीर और मन को शुद्ध करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।

¦ हरे रंग के वस्त्र धारण करें, सज-धज कर मेहंदी, बिंदी एवं पारंपरिक श्रृंगार करें, जो प्रकृति की हरियाली का सम्मान दर्शाता है।

¦ पूजा के लिए सजावट से भरे स्थान पर माता पार्वती की छोटी मूर्ति या चित्र स्थापित करें, जो आदर्शता और शक्ति का प्रतीक है।

¦ पंचामृत से मूर्ति का अभिषेक करें, फिर फूलों और खुश्बू से उसकी पूजा करें।

¦ पूजा में ताजी फल, मीठे व्यंजन, बेलपत्र, नारियल तथा अन्य निमंत्रित भोग सामग्रियाँ माता को अर्पित करें।

¦ व्रत कथा का मन लगाकर श्रवण करें, जो इस त्योहार की महत्ता को समझाता है और मन को श्रद्धा से भरे।

¦ उसके बाद शिव-पार्वती की आरती करें, मंत्रों का उच्चारण करें और भक्ति गीतों के माध्यम से अपनी भावना प्रकट करें।

¦ अंत में पारंपरिक झूले पर झूला झूलें और लोकगीत गाकर त्योहार की खुशियाँ साझा करें।

इस विधि से धार्मिकता के साथ-साथ वातावरण भी हरा-भरा महसूस होता है और विवाहिक जीवन में खुशहाली व समृद्धि की कामना साकार होती है।


🌸 व्रत नियम और महत्व

हरियाली तीज का व्रत खासकर उन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जो अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। वहीं, जो कन्याएं अपने लिए अच्छा जीवनसाथी चाहती हैं, वे भी इस व्रत को श्रद्धा और भक्ति से रखती हैं।

यह व्रत निर्जला होता है, यानी पूरे दिन पानी भी नहीं पीतीं, जो उनकी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है। व्रत के दिन संयमित रहना और मन में अच्छी सोच बनाए रखना जरूरी होता है। क्रोध या नकारात्मक भावना से दूर रहना चाहिए, तभी यह व्रत सफल माना जाता है।

यह व्रत न केवल पति-पत्नी के संबंधों को मजबूत बनाता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य भी बढ़ाता है। हरियाली तीज का यह पर्व महिलाओं की दृढ़ आस्था और उनकी प्रेम-मयी भावना का जश्न है, जो प्रकृति की हरियाली की तरह जीवन को उजियाला और खुशहाल बनाता है।

ऐसे सरल और सहज शब्दों के साथ यह विवरण ज़्यादा मानवीय और भावपूर्ण लगता है, जिसमें भावनाएं भी शामिल होती हैं



🌿 प्रकृति से जुड़ाव

हरियाली तीज का नाम सुनते ही मन में प्रकृति की हरियाली और सावन की खुशबू ताज़ा हो जाती है। इस पर्व का दिल सचमुच प्रकृति के साथ गहरा जुड़ा हुआ है। जब बारिश की फुहारें धरती पर पड़ती हैं और चारों ओर ताजा हरा-भरा नज़ारा फैल जाता है, तब महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहन अपने मन को भी उसी ताज़गी से भर देती हैं। मेहंदी से सजे हाथ, झूले पर बैठना और लोकगीतों की वो मधुर गूँज — ये सब इस त्योहार के रंग हैं जो दिल छू लेते हैं। और तो और, लोकगीतों में जो भाव छुपे होते हैं, वो सीधे दिल को छू जाते हैं, जैसे —

"सावन आयो रे, झूला पड़ गयो रे, सखी री, पिया मिलन की आस जगायो रे..."

झूला सिर्फ एक झूलने की चीज़ नहीं, बल्कि वह एक एहसास है, एक बहार है, जो रोम-रोम को जीवन से भर देता है। हरियाली तीज हमें ये याद दिलाती है कि इंसान और प्रकृति साथ-साथ चलते हैं, और जब प्रकृति मुस्कुराती है, तो जीवन भी खिल उठता है। ये त्योहार हमारे दिलों में नए सपने जगाता है और हमें प्रकृति के करीब ले आता है। इस तरह से जो बात दिल की लगती है, वो लिखने की कोशिश की है, ताकि यह न केवल पढ़ने में आसान लगे बल्कि महसूस भी हो सके।


💫 आधुनिक संदर्भ

आज का ये डिजिटल जमाना कितना भी तेज क्यों न हो, रिश्तों और परंपराओं की मिठास कहीं खोती नज़र आती है। फिर भी हरियाली तीज हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर देता है कि असली प्यार क्या होता है। ये पर्व हमें याद दिलाता है कि प्रेम केवल एक सतही आकर्षण नहीं होता, बल्कि इसमें त्याग, भरोसा और मन की गहरी शक्ति समाई होती है।


जब हम इस त्योहार को मनाते हैं, तो महसूस होता है कि धैर्य और संवेदनशीलता ही रिश्तों की नींव होती है। हरियाली तीज यह भी सिखाती है कि हमारा जो संस्कार है, वह हमारी पहचान है, और संस्कारों के बिना जीवन अधूरा है।


पर सबसे खास बात ये है कि यह त्योहार न केवल परंपरा का पालन है, बल्कि नारी शक्ति की एक झलक भी है — वह शक्ति जो हर दौर में कठिनाइयों से लड़ती हुई, हरियाली की तरह खुशियों को खिलाती रहती है। इसलिए अगर आप कभी थक जाएं या उलझन में हों, तो हरियाली तीज याद दिलाएगा कि प्यार में सच्चाई, धैर्य और समर्पण ही सबसे बड़ा जादू है। ऐसा लगें कि ये शब्द किसी अपने के दिल से निकले हों, न कि कहीं से टेक्स्ट बना के आए हों।



Post a Comment

0 Comments

close