एक ही साल में
दो बार महंगा सफर: रेलवे ने फिर बढ़ाया किराया, राहत कहीं नहीं
साल 2025 खत्म होने की कगार
पर है, लेकिन जाते-जाते यह साल रेल यात्रियों को एक और झटका
दे गया है। 26 दिसंबर को रेलवे द्वारा जारी नए नोटिफिकेशन ने
आम आदमी के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है। जुलाई 2025 के बाद, अब दिसंबर 2025 में एक बार फिर किराए में बढ़ोतरी की गई है। यानी एक ही साल में दो बार सफर
महंगा हो गया है। जहां आमदनी अठन्नी है, वहां अब रेलवे का
खर्चा रुपया होता जा रहा है।
आंकड़ों की जुबानी: कब
और कितना बढ़ा किराया?
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रेलवे
ने इस साल दो चरणों में (Two Phases) किराया बढ़ाया है। इसका
सीधा असर लंबी दूरी की यात्रा करने वाले और प्रीमियम ट्रेनों के यात्रियों पर पड़ा
है।
आइए समझते हैं साल 2025 का
पूरा गणित:
1) Ordinary non-AC (215 किमी से ज्यादा)
·
1 जुलाई 2025: +1 पैसा/किमी (लेकिन 500 किमी तक distance based हिस्सा unchanged रहा)
·
26 दिसंबर 2025: +1 पैसा/किमी (अब 215 किमी के बाद uniform +1 पैसा/किमी)
·
साल के अंत तक नेट असर: कुल +2 पैसे/किमी
मतलब: लंबी
दूरी के सामान्य (नॉन-एसी) यात्रियों पर धीरे-धीरे बोझ बढ़ा, खासकर 215 किमी से ऊपर के सफर
2) Mail/Express (non-AC और AC दोनों)
(Net
+4 पैसे/किमी)
सबसे ज्यादा नुकसान उन यात्रियों को हुआ है जो मेल, एक्सप्रेस
या राजधानी/वंदे भारत जैसी गाड़ियों से सफर करते हैं।
- जुलाई 1, 2025: पहली बढ़ोतरी 2 पैसे प्रति किलोमीटर की गई थी।
- दिसंबर 26, 2025: साल के अंत में फिर से 2
पैसे प्रति किलोमीटर जोड़ दिए गए।
- कुल असर: साल के अंत तक इन
गाड़ियों का किराया कुल 4 पैसे प्रति किलोमीटर महंगा हो चुका है।
मतलब: मेल/एक्सप्रेस
ट्रेनों में यह बढ़ोतरी सबसे ज्यादा “दो बार जोड़कर” महसूस होगी क्योंकि दोनों
चरणों में समान बढ़त हुई।
3)
साधारण और स्लीपर क्लास (Net +2
पैसे/किमी)
आम आदमी की सवारी कहे जाने वाले ऑर्डिनरी नॉन-एसी और स्लीपर क्लास
को भी नहीं बख्शा गया है।
- जुलाई 1: 1
पैसा प्रति किलोमीटर बढ़ाया गया।
- दिसंबर 26: 1
पैसा प्रति किलोमीटर और बढ़ा दिया
गया।
- साल के अंत तक नेट असर: कुल +2
पैसे/किमी
4)
First Class (ordinary) (Net +2
पैसे/किमी)
- 1 जुलाई 2025: +1 पैसा/किमी
- 26 दिसंबर 2025: +1 पैसा/किमी
- साल के अंत तक नेट असर: कुल +2 पैसे/किमी
5) Premium trains (Rajdhani,
Shatabdi, Duronto, Vande Bharat, Tejas, Humsafar)
- जुलाई 2025 बढ़ोतरी में शामिल: (2 पैसे/किमी)
- दिसंबर 2025 बढ़ोतरी में फिर
शामिल: (2 पैसे/किमी)
- साल के अंत तक नेट असर: कुल +4 पैसे/किमी
मतलब: प्रीमियम
ट्रेनों में भी कुल बढ़ोतरी मेल/एक्सप्रेस के बराबर स्तर पर पहुंचती दिखती है।
3. राहत सिर्फ इन्हें मिली (Suburban/Local)
इस पूरी बढ़ोतरी में राहत की खबर सिर्फ लोकल ट्रेनों (Suburban
Trains) और पास धारकों (Monthly Season Tickets) के लिए है। इनके किराए में जुलाई या दिसंबर, किसी भी
रिवीजन में कोई बदलाव नहीं किया गया है (No Change)।
“राहत कहीं नहीं” क्यों कहा जा रहा है?
किराया बढ़ोतरी की भाषा “पैसे प्रति
किमी” में छोटी लग सकती है, लेकिन इसका असर:
- लंबी दूरी पर (सैकड़ों किमी) टिकट के कुल मूल्य में जोड़ बनकर आता
है,
- परिवार के कई यात्रियों पर एक साथ टिकट लेने पर कुल खर्च तेज़ी से बढ़ता है,
- और जो लोग साल में कई बार यात्रा करते हैं उनके लिए
यह बढ़ोतरी बार-बार चुभती है।
आम आदमी की जेब पर कितना असर? (एक उदाहरण)
4 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी सुनने में छोटी लग सकती है,
लेकिन लंबी दूरी में यह बड़ी रकम बन जाती है।
मान लीजिए, एक परिवार (4 लोग) दिल्ली से पटना या मुंबई (लगभग 1000 किमी)
मेल/एक्सप्रेस से जाता है:
- प्रति व्यक्ति बढ़ोतरी: 1000 किमी x 4 पैसे = 40 रुपये
- पूरे परिवार का एक तरफ का अतिरिक्त खर्च: 160 रुपये
- आना-जाना (Round Trip): 320 रुपये
(ध्यान दें: यह केवल बेस फेयर में बढ़ोतरी है, इस पर जीएसटी और रिजर्वेशन चार्ज अलग से जुड़ेंगे, जिससे टिकट और महंगा होगा)
सुविधाएं नदारद, किराया
'डबल'
यात्रियों का गुस्सा इस बात पर है कि साल में दो बार (जुलाई और
दिसंबर) किराया बढ़ने के बावजूद जमीनी हकीकत नहीं बदली।
- जुलाई में जब किराया बढ़ा था, तब सुविधाओं के दावे किए गए थे, लेकिन दिसंबर
आते-आते भी ट्रेनों की ले-लतीफी और गंदगी जस की तस है।
- प्रीमियम ट्रेनें (तेजस, हमसफर) पहले से ही डायनामिक प्राइसिंग (Dynamic Pricing) की वजह से महंगी थीं, अब बेस फेयर में 4
पैसे/किमी की बढ़ोतरी ने उन्हें
और भी महंगा कर दिया है।
निष्कर्ष:
साल 2025 को रेल यात्री 'महंगाई के वर्ष' के रूप में याद रखेंगे। 1 जुलाई का जख्म अभी भरा भी नहीं था कि 26 दिसंबर को
दूसरा झटका दे दिया गया। लोकल पास धारकों को छोड़कर, देश के
हर वर्ग—चाहे वह स्लीपर में चलने वाला मजदूर हो या राजधानी में चलने वाला
अधिकारी—सबकी जेब ढीली हुई है। सरकार को यह सोचना होगा कि रेलवे मुनाफे का नहीं,
सेवा का माध्यम है। साल में दो बार किराया बढ़ाना, वह भी बिना सुविधाओं में ठोस सुधार किए, आम जनता के
साथ अन्याय है।



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